शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

जादू की छड़ी

मंहगाई की कहानी या गरीबी की कहानी में पात्र तो एक ही है गरीब. गरीबी और मंहगाई दोनों केवल गरीब को ही मारती हैं. तो क्या करें गरीब को ही मार दें . समस्या समाप्त।  न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। ह्वाट्स अन आईडिया सर जी। लेकिन गरीब वोट देने के काम आता है बार बार छाला जाता है फिर वादों पर विश्वास करता है और फिर रोता है अपना सिर धुनता है। भगवान को कोसता है। अपने भाग्य को दोष देता है। और अंत में आत्महत्या कर लेता है और कानून की भाषा में अपराधी हो जाता है। कमॉल है कि जिसका खून हुआ कातिल भी वही है। ये है जादू. जिस जादू की छड़ी हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी 10 वर्षों से ढूंढ़ रहे है मगर यह जादू की छड़ी है कि  गरीब का क़त्ल करके उसे ही कातिल बना देती है मगर प्रधानमंत्री जी के हाँथ नही आती है। अब पता चल रहा है कि हमारे महामहिम प्रणव मुखर्जी जब तक वित्त मंत्री थे तब तक उनको गरीब या गरीबी से कोई मतलब नहीं था अब गरीबों और गरीबी की बात करते हैं। आप जानते हैं क्यों ? क्योंकि इसी गरीब के वोट ने उन्हें इस देश का प्रथम नागरिक बना दिया। अब पता चल रहा है की आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद जिन कैदियों को सजा अब तक नहीं मिल पाई थी उन्हें अब सजा जरुर मिल जाएगी क्योंकि महामहिम ने आतंकवाद के खिलाफ लडाई को चौथा विश्वयुद्ध की संज्ञा दी है। मतलब यह कि  गरीब के पास वो जादू की छड़ी है जिससे ज्ञान विज्ञानं दोनों के दरवाजे खुल जाते हैं. इसलिए गरीब को मारना बेवकूफी है। उसे खुद घुट घुट के मरने के लिए छोड़ देते हैं। और नारायण दत्त तिवारी जी के निजी मामले में चुप रहते है क्योंकि उन्होंने अब जाकर बताया है की रोहित शर्मा का मामला मेरा निजी मामला है। रोहित से एक बात समझ में आई कि -
              कौन कहता है कि  आसमान में सुराख़ नही हो सकता .
              एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।

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