शनिवार, 27 मार्च 2010

Fwd: pariksha ki nautanki.



---------- Forwarded message ----------
From: vinay kumar singh <vnkmr.singh@gmail.com>
Date: 2010/3/13
Subject: pariksha ki nautanki.
To: pathaknama@vns.jagran.com
Cc: hindustanspeedpost@gmail.com


परीक्षा की नौटंकी
माध्यमिक शिक्षा परिषद् कि परीक्षाएं प्रारम्भ हो गयी हैं . विगत वर्ष कि भांति इस वर्ष भी बड़े बड़े दावे किये गए परन्तु परिणाम वही ढांक के तीन पात. समझ में नहीं आता कि हर बार माननीय मंत्री जी पूरे साल नियम उपनियम बनाने कि बात करते हैं. दागी विद्यालयों को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जायेगा कि बात करने वाला प्रशासन अंत में क्यूँ सो जाता है. यही नहीं बल्कि उससे भी दो कदम आगे जाते हुए उन विद्यालयों को अधिकतम छात्रों का परीक्षा केंद्र बना दिया जाता है जिनके पास मूलभूत सुबिधायों का अभाव ही नहीं बल्कि अनुभवी अध्यापकों का भी टोटा है. उसके बाद शुरू होता है विद्यालयों और उसके प्रधानाचार्यों पर कार्यवाही का नाटक. इस पूरी कवायद में छात्र  और छात्र हित की बात नहीं सोची जाती है. प्रशन ये उठता है कि आखिर सरकार चाहती क्या है और दिखाना क्या चाहती है. जिस तरह से परीक्षाएं चल रही हैं उनकी सुचिता एवं पवित्रता के बारे में सोचना परेशान करने वाला है. मंत्री जी की कार्यशैली पर उंगली उठाने कि हिम्मत किसी की नहीं हो रही है. परन्तु यह भी सोचना शेष है कि क्या इसके लिए सिर्फ सरकार ही दोषी है या इसमें हमारी भी हिस्सेदारी है. सिस्टम का अंग तो हम सभी हैं फिर सिर्फ सरकार या उसकी कार्य प्रणाली को दोष देकर हम कर्त्तव्य मुक्त हो जायेगें. यह अभी से सोचना प्रारम्भ करें कि ऐसी शिक्षा देकर हम देश एवं देश कि भावी पीढ़ी को कौन सी दिशा दे रहे हैं. गणतंत्र में सभी अपनी अपनी भूमिका को पहचानने का कष्ट करें. जय हिंद.
                  विनय कुमार सिंह , लोकनाथ महाविद्यालय रामगढ चंदौली.  

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